ओलंपिक
खेलों में पदक विजेता भारतीय
अनिल
जायसवाल
भारत ने ओलंपिक खेलों में कुछ देर से भाग लेना शुरू किया। आधुनिक
ओलंपिक खेलों का आयोजन सन 1896 से शुरू हुआ।
1900 के पेरिस ओलंपिक में भारत से एक खिलाड़ी
ने अपने आप भाग लिया। परंतु आधिकारिक रूप से भारत ने पहली बार 1920 क¢ एंटवर्प (बेल्जियम) ओलंपिक में भाग लिया। इस ओलंपिक में पांच एथलीट
और दो पहलवान भाग लेने गए। भारतीय महिलाओं ने सन
1952 के हेलसिंकी ओलंपिक से ओलंपिक में हिस्सेदारी शुरू की।
अधिकृत रूप से ओलंपिक में भाग लेने के
बाद से भारत के हिस्से
में ज्यादा पदक नहीं आए हैं। भारत ने पहली बार 1928 के¢
अम्सटर्डम ओलंपिक में हाकी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। तब से
रियो ओलंपिक तक भारत ने कुल 9 स्वर्ण 6 रजत
और 13 कांस्य पदक जीते हैं। ये सारे¢ पदक
भारत को हाकी, कुश्ती, लान
टेनिस, भारोत्तोलन, निशानेबाजी, बाक्सिंग, बैडमिंटन और कुश्ती में मिले हैं।
नार्मन प्रीचर्ड (एथलटिक्स)
:
कहा जाता है कि पहले कोई खिलाड़ी व्यक्गित स्तर पर भी इन खेलों में
भाग ले सकता था। सन 1900 के पेरिस
ओलंपिक के दिनों में कोलकाता का नार्मन प्रीचर्ड पेरिस
में छुट्टियां मना रहे थे। उन्होंने ओलंपिक में भाग लेने के¢ लिए आवेदन किया, तो उन्हें अनुमति मिल गई। उन्होंने दो
सौ मीटर
की सीधी एवं दो सौ मीटर की ही बाधा दौड़ में भाग लिया। दोनों में
उसने दूसरा स्थान प्राप्त कर दो रजत
पदक जीते।
हाकी :
ओलंपिक में भारत को कुछ
सम्मान मिला है तो इसका श्रेय हाकी को
है। 26 में
से 11 पदक भारत ने हाकी में जीते हैं। भारतीय हाकी टीम ने पहली बार 1928 के¢ एम्सटर्डम ओलंपिक में भाग लिया। पहले ही प्रयास में भारत ने धमाक¢दार खेल दिखाते हुए स्वर्ण-पदक जीत लिया। इसक¢ बाद 1956 के मेलबोर्न
ओलंपिक तक भारत ही स्वर्ण-पदक जीतता रहा। इसके
अलावा 1964 के तोक्यो ओलंपिक औप 1980 के मास्को ओलंपिक में भी भारत ने स्वर्ण जीता।
इस तरह इस खेल में भारत ने 8 स्वर्ण 1 रजत और दो कांस्य पदक जीते हैं।
के.डी. जाधव (कुश्ती):
के.डी. जाधव यानी खाश्बा दिग्विजय जाधव महाराष्ट्र के पुलिस बल में थे। उन्होंने पहली बार 1948 के¢ लंदन ओलंपिक में भाग लिया। परंतु वे छठे¢
स्थान पर रहे। 1952 में वह फिर ओलंपिक खेलों में भाग लेने हेलसिंकी
गए। वहां बेंटमवेट फ्री स्टाइल कुश्ती के किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीतकर इतिहास
रच दिया। व्यक्तिगत खेलों में भारत के लिए
पहली बार पदक जीतने का श्रेय जाधव को ही
जाता है।
लिएंडर पेस (लान टेनिस):
भारतीय टेनिस खिलाड़ी 1924 के पेरिस अ¨लंपिक
से लान टेनिस में भाग ले रहे थे। परंतु पहली सफलता मिली 1996 के
अटलांटा ओलंपिक में। धुरंधर टेनिस खिलाड़ियों के बीच भारत के लिएंडर
पेस ने टेनिस में ब्राजीली खिलाड़ी को हराकर
भारत के लिए कांस्य पदक जीता।
कर्णम मल्लेश्वरी (भारोत्तोलन) :
आंध्र प्रदेश की कर्णम मल्लेश्वरी ने 54 किलो वर्ग में 1994 और
1995 में विश्व चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। 2000 के सिडनी ओलिंपक में किसी ने
उनसे उम्मीद नहीं की थी परंतु 69 किलो वर्ग में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर तहलका मचा
दिया। उनके द्वारा जीता गया पदक ओलंपिक में भारत की किसी महिला द्वारा जीता गया पहला
पदक था।
राज्यवर्धन सिंह राठौर (निशानेबाजी) :
लेफ्टिनेंट कर्नल और आज के भारत सरकार में मंत्री राज्यवर्धन सिंह
राठौर निशानेबाजी में भारत में भारत के लिए पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी हैं। सन
2004 के एथेंस ओलंपिक में डबल ट्रैप निशानेबाजी में उन्होंने देश के लिए रजत पदक जीता।
उस ओलंपिक में यह भारत का एकमात्र पदक था।
अभिनव बिंद्रा (निशानेबाजी) :
भारत में 2008 के बीजिंग ओलंपिक तक 88 साल के सफर में कभी भी व्यक्तितगत
स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया था। पर यह सूखा खत्म किया अभिनव बिंद्रा ने। उन्होंने 10
मीटर एयर राइफल में बीजिंग ओलिंपक स्वर्ण पदक
जीता।
विजेंद्र सिंह (बाक्सिंग) :
बाक्सिंग के खेल को भारत में कभी भी प्रोत्साहन नहीं मिला। परंतु
2008 के बीजिंग ओलंपिक में भारत ने बढिया प्रदर्शन किया। 75 किलोग्राम वर्ग में विजेंदर
सिंह ने कांस्य पदक जीता जो ओलंपिक बाक्सिंग में भारत का पहला पदक था।
सुशील कुमार (कुश्ती) :
बीजिंग
ओलंपिक भारत के लिए पहला ऐसा ओलंपिक था जिसमें भारत ने एक से ज्यादा पदक जीते। सुशील कुमार ने 66 किलो वजन वर्ग में फ्री स्टाइल
कुश्ती में कांस्य पदक जीता। 1952 के बाद कुश्ती
में यह भारत के पहला पदक था। यही नहीं सुशील कुमार अगले ओलंपिक
में इससे भी आगे बढ़े और 1912 के लंदन ओलंपिक में इसी खेल में रजत पदक जीता।
वह आज भी भारत के एक मात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने दो अलग-अलग ओलंपिक में व्यक्तिगत
पदक जीते हैं।
विजयकुमार (निशानेबाजी) :
हमाचल
प्रजेश के हमीर पुर के विजय कुमार सेना में सुबेदार मेजर हैं। 25 मीटर के रैपिड फायर
पिस्टल प्रतियोगिता में वह बेहतरीन हैं। उन्होंने
कामनवेस्थ गेम्स में इस खेल में 5 स्वर्ण पदक जीता है। 2012 के लंदन ओलंपिक में विजय कुमार ने निशानेबाजी
में 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल मुकाबले में भारत के लिए रजत पदक जीता। इस जीत के बाद
उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड के सथ साथ पद्मश्री सम्मान भी मिला।
सायना नेहवाल (बैडमिंटन) :
महिला बैडमिंटन में भारत का नाम विश्व में चमकाने में सायना नेहवाल
का बड़ा हाथ रहा है। वह भारत की पहली मबिला खिलाड़ी हैं जिनहें विश्व में नंबर एक माना
गया। 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक के मुकाबले में चीनी खिलाड़ी को हराकर सायना
नेहवाल ने कांस्य पदक जीता, जो बैडमिंटन के खेल में भारत का पहला ओलंपिक पदक रहा।
एम.सी.मैरीकोम (बाक्सिंग) :
भले आज भारतीय पुरुष खिलाडियों
ने बाक्सिंग में खूब नाम कमाया है। पर इसकी शुरुआत छोटे से राज्य मणिपुर का महिला बाक्सर
एम.सी.मेरी काम ने की थी। जब वह बाक्सिंग के शिखर पर थीं, तब ओलंपिक में बाक्सिंग का
खेल था ही नहीं। इसे 2012 के लंदन ओलंपिक में शामिल किया गया। तब तक मेरीकाम 5 बार
विश्व चैंपियन बन चुकी थीं। लंदन ओलंपिक में मेरीकाम ने 51 किलोवर्ग के फ्लाईवेट मुकाबले
में कांस्य पदक जीता।
गगन नारंग (निशानेबाजी) :
गगन
नारंग 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में विश्व रेकार्ड धारी भी रहे हैं। उनका मेहनत रंग लाई 20102 के लंदन ओलंपिक में। इसमें
10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर उन्होंने भारत का खाता खोला था।
योगेश्वर दत्त (कुश्ती) :
योगेश्वर
दत्त कुश्ती में पदक जीतने वाले तीसरे भारतीय पहलवान हैं। उन्होंने कामनवेल्थ गेम्स
और एशियाई खेलों में तो अपना झंडा गाड़ा ही था, पर 2012 के लंदन ओलंपिक में उन्होंने
60 किलोग्राम वर्ग फ्री स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर भारत के खेल इतिहास में
अपना नाम लिखा लिया।
साक्षी मल्लिक (कुश्ती) :
हरियाणा के रोहतक जिले के एक छोटे से गांव
मोखरा में साक्षी का जन्म हुआ। उनके पिता डीटीसी बस में कंडक्टर की नौकरी करते हैं।
अपने दादा को कुश्ती लड़ते देख साक्षी के मन
में पहलवान बनने की इच्चा जागी। जह उन्होंने कुश्ती लड़नी शुरु का तो गांव के लोगों
को बुरा लगा कि एक लड़की कुश्ती का खेल खेल रही है। और आज उसी लड़की ने सब विरोधों
को पीछे छोड़कर 2016 के रियो ओलंपिक में
58 किलो के फ्री स्टाइल वर्ग कुश्ती में कांस्य पदक जीतकर इतिहास बना दिया। ओलंपिक कुश्ती में पदक जीतने वाली वह
पहली महिला पहलवान हैं।
पी.वी. सिंधु (बैडमिंटन) :
सायना नेहवाल ने महिला बैडमिंटन को नई राह दिखाई तो उस राह में उनके साथ महिला बैडमिंटन को लोकप्रिय करने में पी.वी. सिंधु सबसे आगे है। बैडमिंटन के विश्व चैंपियनशिप
में पदक जीतने वाली वह पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी थीं। उन्होंने लगाचार दो बार विश्व
बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। 2016 के रियो ओलंपिक में तो सिंधु ने कमाल
ही कर दिया। ओलंपिक बैडमिंटन के पाइनल में पहुंचने वाली वह पहली भारतीय बैटमिंटन खिलाड़ी
बनीं। फाइनल तक पहुंचने के लिए उन्होंने विश्व नं. 2 और विश्व नंबर तीन खिलाड़ी को
हराया। भले ही वह विश्व नं. एक खिलाड़ी के
सामने फाइनल में हार गईं, परंतु रजत पदक जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया।
भारत के लिए ओलंपिक पदक
नार्मन प्रीचर्ड (एथलेटिक्स) 1900 रजत पदक
नार्मन प्रीचर्ड (एथलेटिक्स) 1900 रजत पदक
हाकी टीम 8 स्वर्ण, 1 रजत, 2 कांस्य
के.डी. जाधव (कुश्ती) 1952 कांस्य पदक
लिएंडर पेस (टेनिस) 1996 कांस्य पदक
कर्णम मल्लेश्वरी (वेट लिफ्टिंग) 2000 कांस्य पदक
राज्यवर्धन सिंह राठ©र (निशानेबाजी) 2004 रजत पदक
अभिनव बिंद्रा (निशानेबाजी) 2008 स्वर्ण पदक
विजेंद्र सिंह (बाक्सिंग) 2008 कांस्य पदक
सुशील कुमार (कुश्ती) 2008 कांस्य पदक
सुशील कुमार (कुश्ती) 2012 रजत पदक
विजय कुमार (निशानेबाजी) 2012 रजत पदक
सायना नेहवाल (बेडमिंटन) 2012 कांस्य पदक
एम.सी. मेरी काम (बाक्सिंग) 2012 कांस्य पदक
गगन नारंग (निशानेबाजी) 2012 कांस्य पदक
योगेश्वर दत्त (कुश्ती) 2012 कांस्य पदक
साक्षी मलिक (कुश्ती) 2016 कांस्य पदक
पी.वी. सिंधु (बैडमिंटन) 2016 रजत
पदक
सभी विजेताओं के बारे में विस्तृत जानकारी है। यह प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी उपयोगी है।
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