Tuesday 23 August 2016

ओलंपिक के सदाबहार हीरो


ओलंपिक के¢ हीरो


दादा जी खेल के मैदान में
स्वीडन के आस्कर श्वान को बचपन से ही निशानेबाजी का शौक था। परंतु जब अ¨लंपिक खेल शुरू हुए, तो उनकी उम्र पचास के आसपास हो चुकी थी। पहली बार उन्होंने 1908 के¢ लंदन ओलंपिक में भाग लिया। उस समय उनकी उम्र थी साठ वर्ष। इस उम्र में भी उन्होंने दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीतकर लोगों को हैरान कर दिया। 1912 के स्टाकहोम ओलंपिक में भी उन्होंने एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता। 1916 में प्रथम विश्वयुद्ध होने के कारण अगले ओलंपिक खेल 1920 में एंटवर्प (बेल्जियम) में आयोजित हुए। पर पूरे जोश के साथ 72 वर्ष की उम्र में आस्कर फिर से मैदान में उपस्थित थे। उन्होंने अपने पोते के उम्र के प्रतियोगियों से मुकाबला करते हुए निशानेबाजी में रजत पदक जीत लिया। आज भी सबसे ज्यादा उम्र में ओलंपिक पदक जीतने का रिकार्ड उन्हीं क¢ नाम है।


मृत्यु के मुंह से लौटकर पदक जीता
अमेरिका की बेट्टी एलिजाबेथ रोबिंसन ने जब पहली बार 1928 के एम्सर्टडम ओलंपिक में भाग लिया, तो वह केवल 16 वर्ष की थीं। इसी ओलंपिक में पहली बार महिलाओं की 100 मीटर की दौड़ आयोजित की गई। इसे जीतने का श्रेय राबिंसन को ही मिला। इसके¢ अलावा रिले दौड़ में भी उन्होंने रजत पदक जीता।
इसके तीन वर्ष बाद 1931 में एक विमान दुर्घटना में बेट्टी बुरी तरह घायल हो गईं। एक व्यक्ति ने बेहोश बेट्टी को मृत समझकर अपनी कार की डिक्की में डालकर अस्पताल में छ¨ड़ आया। वह सात हफ्ते तक बेहोश रहीं। फिर होश में तो आ गईं, परंतु दो  वर्षों तक वह अपने पैरों पर खड़ी भी नहीं हो पाईं। पर दृढ़ निश्चयी राबिंसन कड़ी मेहनत कर फिर से 1936 के¢ बर्लिन अ¨लंपिक में लौटी। यही नहीं, 4गुणा 400 मीटर की रिले दौड़ में उसने स्वर्ण-पदक जीतकर अपनी वापसी को सफल कर दिया।



अस्पताल से खेल के मैदान पर
आस्ट्रेलिया के विलियम रायक्राफ्ट ने जब पहली बार 1960 में हुए रोम ओलंपिक में भाग लिया तो वह 45 वर्ष के थे। पहले ही दिन टीम घुड़सवारी प्रतियोगिता में उनके¢ घोड़े ने उन्हें गिरा दिया। उनके¢ कंधे की हड्डी टूट गई। उन्हें हस्पताल ले जाया गया। वहां उन्हें बताया गया कि उनके¢ न खेलने पर अगले दिन उनकी पूरी टीम को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।
अगले दिन वह बिस्तर से उठे और स्टेडियम में जा पहुंचे। अपने सहयोगियों के¢ साथ उन्होंने स्पर्धा में भाग लिया और घायल होने के बावजूद स्वर्ण पदक जीतने में सफल हुए।



विकलांगता सफलता में बाधक नहीं
अमेरिका की विल्मा रूडोल्फ जब छोटी थीं, तो पोलियो की शिकार हो गईं। परंतु हिम्मत की धनी विल्मा ने अपनी इच्छा शक्ति से इसे अपनी सफलता के आगे आने नहीं दिया। दौड़ मुकाबलों में उन्हें इतनी सफलता मिली कि आज भी उन्हें दुनिया की सर्वश्रेष्ठ महिला धाविकाओं में से माना जाता है। 1956 के मेलबोर्न ओलंपिक और 1960 के रोम ओलंपिक में भाग लेते हुए उन्होंने 3 स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता। एक समय ऐसा भी था, जब 100 मीटर, 200 मीटर अ©4 गुणा 100 मीटर रिले दौड़ में विश्व रिकार्ड उन्हीं क¢ नाम थे। ठीक उसी तरह, जैसे आज पुरुषों की दौड़ में उसेन बोल्ट के नाम पर तीनों विश्व रिकार्ड्स हैं


एक दिन में चार स्वर्ण पदक
सोवियत संघ से अलग होने के बाद बेलारूस पहली बार 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भाग ले रहा था। ऐसे में जिमनास्टिक स्पर्धा में बेलारुस के विटाली शेरबो ने एक दिन में ही चार स्वर्ण पदक जीतकर तहलका मचा दिया। बाद में दो और स्वर्णपदक जीतकर एक ओलंपिक में छह स्वर्ण पदक जीतने वाले वह प्रथम जिमनास्ट बने।

एक ओलंपिक में सात स्वर्ण
अमेरिका के मार्क स्पिट्ज ने 1968 के मैक्सिको ओलंपिक की तैराकी प्रतियोगिता में भाग लेने जाने से पहले घोषणा की थी कि वह छह स्वर्ण पदक जीतने का प्रयास करेंगे। परंतु वह अपनी बात नहीं रख पाए छह क¢ बदले वह केवल दो स्वर्ण पदक ही जीत पाए। अपनी असफलता से वह बहुत दुखी थे। चार वर्ष बाद 1972 के¢ म्यूनिख ओलंपिक में उन्होंने अपनी इच्छा पूरी की। इस बार उन्होंने एक नहीं, दो नहीं, सात स्वर्ण पदक जीते। उसने केवल सात स्पर्धाओं में ही भाग लिया और सातों में नया विश्व रिकार्ड बनाया। एक लंपिक में सवार्धिक सात स्वर्ण पदक जीतने का उनका रेकार्ड 2008 में अमेरिका के ही माइकल फेल्प्स ने तोड़ा।

स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली अफ्रीकी अश्वेत धाविका
इथोपिया की डेराटू बचपन में जानवर चराती थी। जानवरों के पीछे-पीछ¢ भागते-भागते, कब वह धाविका बन गई, उन्हें पता ही नहीं चला। 16 वर्ष की उम्र में वह 10000 मीटर की दौड़ में 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में भाग लेने  गई। इसे जीतने में सफल भी हुई। ऐसा करके¢ ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली वह पहली अश्वेत अफ्रीकी धाविका बनी। बाद में 2000 के सिडनी ओलंपिक में उन्होंने इस स्पर्धा को फिर जीता।


लगातार चार बार लंबी कूद में स्वर्ण पदक
अमेरिका के कार्ल लुइस को दुनिया के महानतम एथलीट्स में से एक माना जाता है। जेसी ओवंस क¢ बाद एक ओलंपिक (1984 के लास एंजिल्स) में चार स्वर्ण पदक जीतने वाले वह दूसरे एथलीट बने। चार ओलंपिक में भाग लेते हुए उन्होंने 9 स्वर्ण  और 1 रजत पदक जीता। इसमें खास बात यह रही कि इन्होंने चारों ओलंपिक के लंबी कूद स्पर्धा में स्वर्ण पजक जीता।


परफेक्ट टेन पाने वाली पहली जिमनास्ट
रोमानिया की नादिया ने के¢वल 15 वर्ष की आयु में मांट्रियल ओलंपिक में भाग लिया। परंतु यहां शानदार प्रदर्शन करते हुए वह दुनिया की ऐसी पहली जिमनास्ट बनीं, जिन्हें 10 में से 10 अंक मिले। 1980 के मास्को ओलंपिक में भी उन्होंने भाग लिया और कुल मिलाकर पांच स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य पदक जीता।


तैराकी के बादशाह
अमेरिका के माइकल फेल्प्स को तैराकी का बादशाह कह सकते हैं। उन्होंने पहली बार 2004 के एथेंस ओलंपिक में भाग लिया। पहले ओलंपिक में ही उन्होंने 6 स्वर्ण और 2 कांस्य पदक जीतकर तहलका मचा दिया। अगले 2008 के बीजिंग ओलंपिक में वह और धमाका करने  के इरादे के साथ आए। यहां उन्होंने 8 स्पर्धाओं में भाग लिया और सब में स्वर्ण पदक जीता। एक ओलंपिक में सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक जीतने के रेकार्ड को उन्होंने अपने नाम कर लिया। 2012 के लंदन ओलंपिक में भी वह  फिर भाग लेने आए और 4 स्वर्ण और 1 कांस्य पदक लेने में सफल रहे। इसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया। पर उनका मन नहीं माना और 2014 में वह फिर से तैराकी करने लगे। अपने प्रदर्शन से उन्होंने अमेरिकी ओलंपिक टीम में फिर से जगह बनाई और रियो ओलिपिक में आए। अपने आखिरी ओलंपिक में भी उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन जारी रखा और 5 स्वर्ण और एक रजत पदक जीतने में सफल रहे। इस तरह उन्होंने ओलिंपक में 23 स्वर्ण, 3 रजत और 2 कांस्य पदकों के सथ कुल 28 पदक जीते। एक खिलाड़ी के रूप में किसी और ने ओलंपिक में इतने पदक नहीं जीते हैं। इस ओलंपिक के बाद उन्होंने खेल से संन्यास ले लिया। इस तरह उन्हें ओलंपिक का महानतन खिलाड़ी कह सकते हैं






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