ओलंपिक का इतिहास (2)
ओलंपिक खेलों का इतिहास सदियों पुराना है। परंतु इन दिनों जो ओलंपिक खेल हो रहे हैं, उन्हें आधुनिक ओलंपिक खेल कहते
हैं। इसकी शुरुआत 1896 में यूनान क¢ एथेंस नगर में हुई। तब से ओलंपिक खेलों का परचम पूरे विश्व में शान से लहरा रहा है।
कल आपने 1920 तक के खेलों के बारे में जाना था। आज उसके आगे...
पेरिस (फ्रांस, 4 मई से 27 जुलाई 1924)
पहली बार ओलंपिक खेलों के¢ उद्देश्य को इन शब्दों में व्यक्त किया गया- तेज, ऊंचा और मजबूत। यहीं एक नई परंपरा की शुरूआत हुई। ओलंपिक के¢ समापन समारोह में तीन झंडे फहराए गए। ओलंपिक ध्वज, मेजबान देश का ध्वज और उस देश
का ध्वज, जहां अगले ओलंपिक खेल होने थे।
एम्सटर्डम (हालैंड) 17 मई से 12 अगस्त 1928
पहली बार यहां ओलंपिक अग्नि प्रज्ज्वलित करने की परंपरा शुरू हुई।
इस ओलंपिक में एक मजेदार घटना हुई। नौका रेस की प्रतियोगिता हो रही थी। अचानक आस्ट्रेलियाई प्रतियोगी
हेनरी पियर्स अपनी नाव को रोककर खड़े हो गए क्योंकि बतखों का एक परिवार उनके सामने से गुजर रहा था। उनके जाने के बाद पियर्स ने फिर से दौड़ आरंभ
की और अंत में रेस जीतने में सफल रहे। बाद में स्वर्ण पदक भी उन्होंने ही जीता। भारत
ने पहली बार यहीं हाकी में स्वर्ण-पदक जीता।
लास एंजिलस (अमेरिका, 30 जुलाई से 14 अगस्त 1932)
इस ओलंपिक के¢ दौरान कई नए काम हुए। पहली बार
खिलाड़ियों के¢ लिए खेल-गांव बनाया गया। खेलों
को एक महीने से भी कम समय में निपटाने
का निर्णय लिया गया। मंदी के कारण कई देसों ने ओलंपिक में आने से मना कर दिया। हालत
यह हुई कि हाकी में केवल तीन देशों भारत, जापान और अमेरिका ने भाग लिया। अपने सारे
मैच हारने पर भी अमेरिका कांस्य पदक जीतने में सफल रहा।
बर्लिन (जर्मनी, 1 से 16 अगस्त 1936)
इस ओलंपिक में जर्मन तानाशाह एडोल्फ
हिटलर का सपना था कि इन खेलों के¢ द्वारा वह जर्मन बादशाहत को दुनिया के सामने साबित कर देंगे। पर एक अश्वेत
अमेरिकी धावक जेसी ओवंस ने 4 स्वर्ण पदक जीतकर सारी वाहवाही लूट ली। इस ओलंपिक के दौरान एथेंस से मशाल जलाकर मेजबान
देश तक लाने की परंपरा शुरू हुई।
लंदन (इंग्लैंड, 29 जुलाई से 14 अगस्त 1948
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