Tuesday 23 August 2016

ओलंपिक चिन्हों का मतलब

ओलंपिक चिन्हों का मतलब

पांच छल्ले: 

ओलंपिक खेलो क¢ प्रतीक हैं एक दूसर¢ से जुड़े पांच छल्ले। इनमें प्रथम पंक्ति में तीन व दूसरी पंक्ति में दो छल्ले हैं। इनके¢ रंग हैं नीलापीलाकालाहरा और लाल। इनकी पृष्ठभूमि में सफेद रंग हैं। इसे बनाने का श्रेय आधुनिक ओलंपिक खेलों के¢ जनक बेरोन पियरे दी कोबर्टिन  को मिला। उनक¢ अनुसार यह सच्चे अर्थों में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतीक है। इसके¢ पांच छल्ले पांच महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसका सांक¢तिक अर्थ है कि इस खेल क¢ द्वारा सार¢ महाद्वीप क¢ खिलाड़ी आपस में मिलते हैं अ©र स्वस्थ प्रतिय¨गिता करते हैं।
क्या आप जानते हैं कि छल्लों के¢ लिए खास तौर पर इन पांच रंगों का ही प्रयोग क्यों किया गया.  इसका मुख्य कारण है  इनमें प्रयोग किए गए रंगों में से कम से कम एक रंग हर देश क¢ झंडे पर मिलता है।

ओलंपिक मोट्टो मतलब उद्देश्य
ओलंपिक का मोट्टो है फास्टर, हाइअर और स्टांगर यानी तेज, ऊंचा और मजबूत। इसका प्रय¨ग पहली बार 1920 के सातवें एंटवर्प लंपिक में किया गया।
  फ्रांस के एक पादरी फादर डीडान ने इस वाक्य की कल्पना की थी। वह एक स्कूल में अध्यापक थे। उनकी खेलों में बहुत रुचि थी। उन्होंने इस वाक्य का प्रयोग अपने स्कूल से जुड़े क्लबों में किया था।
ओलंपिक ध्वज: 

सन 1913 में ओलंपिक ध्वज तैयार किया गया। इसका सुझाव भी कोबर्टिन ने ही दिया था। सफे¢द सिल्क से बने झंडे पर ओलंपिक के प्रतीक पांच छल्ले लगे हैं। इसका उद्घाटन फ्रांस में जून 1914 में किया गया। परंतु किसी अ¨लंपिक में इसका पहली बार प्रय¨ग 1920  के¢ एंटवर्प अ¨लंपिक में हुआ।
ओलंपिक मस्कट (शुभंकर):
1972 का मस्कट

 सही मायने में ओलंपिक से बच्चों क¨ ¨ड़ने का काम शुभंकर ही करते हैं। पहली बार अ¨लंपिक में किसी शुभंकर का प्रय¨ग 1972 में म्यूनिख ओलंपिक में हुआ। इसक¢ बाद तो शुभंकर घोषित करने की परंपरा ही बन गई। आमतौर पर मेजबान देश अपने किसी प्रमुख जानवर को ही शुभंकर बनाते हैं।
ओलंपिक अग्नि: 
ओलंपिक खेल शुरू ह¨ने से पहले स्टेडियम में ओलंपिक अग्नि प्रज्ज्वलित की जाती है। इसके¢ लिए ओलंपिक मशाल का ही प्रयोग किया जाता है। पूरे ओलंपिक के¢ दौरान यह अग्नि प्रज्ज्वलित रहती है। सबसे पहले इसका प्रय¨ग 1928 के¢ एम्सटर्डम ओलंपिक में किया गया।
ओलंपिक मशाल:

 ओलंपिक अग्नि को प्रज्ज्वलित करने के¢ लिए ओलंपिक मशाल का प्रयोग किया जाता है। यह मशाल एथेंस से जलाने के बाद पूरे विश्वभर में घूमकर ठीक उसी समय ओलंपिक स्टेडियम में पहुंचती है, जब अग्नि प्रज्ज्वलित करने का समय होता है। विश्वभर के¢ जाने-माने खिलाड़ी इस मशाल को लेकर दौड़ते हैं। पहली बार मशाल का प्रय¨ग सन 1936 के¢ बर्लिन ओलंपिक में किया गया। मशाल को पहले एक विशेष समारोह में यूनान के¢ ओलंपिया नगरी में प्रज्ज्वलित किया गया फिर 3000 धावक इसे सात देशों से गुजारते हुए बर्लिन लेकर पहुंचे। इस मशाल को जलाने के लिए सूर्य की किरणों का प्रयोग होता है। एथेंस ओलंपिक के¢ लिए जलाई जाने वाली मशाल पहली बार सभी महाद्वीपों से होकर गुजर¢गी।



12 comments:

  1. वाह, बहुत ही अच्छी जानकारी है। बच्चों के लिए तो बहुत ही उपयोगी।

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  2. वाह, बहुत ही अच्छी जानकारी है। बच्चों के लिए तो बहुत ही उपयोगी।

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  3. बहुत ही बढि़या और ज्ञानवर्धक लेख की प्रस्‍तुति।

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  4. बहुत ही अच्छी जानकारी प्राप्त हुई

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  5. Badiya sir but kisne dhawaj banaya tha ye btao

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  6. Agla olampic kab hai I am Indian boy Jai Hind

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