आधुनिक ओलंपिक के जनक
बेरोन पियरे दी कोबर्टिन
बेरोन पियरे दी कोबर्टिन का
जन्म 1863 में फ्रांस में हुआ। बचपन से ही उसकी खेलों में विशेष रुचि थी। उसे शुरू
से ही लगता था कि खेलों में इतनी ताकत है कि यह लोंगों को पास आने और एक-दूसरे को समझने में सहायक
ह¨ सकता है। सबसे बड़ी चीज यह कि खेल सारी दुनिया के देशों क¨ एक जगह इकट्ठा कर
तनाव क¨ दूर करने में मदद कर सकता है।
बचपन से ही वह प्राचीन ग्रीक खेलों के बारे में सुनता रहता
था। वह बड़ा होकर एक शिक्षक बना। वह अपने साथ युवा लोगों को जोड़ना चाहता था
ताकि बड़े पैमाने पर किसी खेल-उत्सव की शुरुआत की जा सक¢।
उन्हीं दिनों 1875 से 1881 के बीच इतिहासकारों
ने प्राचीन अ¨लंपिया क¢ अवशेषों को खोज निकाला। प्राचीन अ¨लंपिक खेलों के बारे में ठोस जानकारी
पाते ही कोबर्टिन ने निश्चय कर लिया कि इस खेल उत्सव को फिर से शुरू करना है।
उसने 1894 में इंग्लैंड अ©र अमेरिका की यात्रा
की। फिर से अ¨लंपिक खेलों को शुरू करने की संभावनाओं को टटोला। उसे कुछ
समर्थन मिला, तो उसका उत्साह अ©र बढ़ा।
23 जून 1894 को ओलंपिक खेल क¨ पुनः शुरू करने
क¢ लिए पेरिस अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की गई। इसमें
बारह देशों के दो हजार से ज्यादा ल¨गों ने भाग लिया।
लोगों ने ओलंपिक खेलों को फिर से शुरू करने क¢ प्रयासों का ज¨रदार स्वागत किया। तय हुआ कि प्रथम आधुनिक ओलंपिक खेल कोबर्टिन
क¢ ही देश फ्रांस में 1900 में आयोजित किए जाएंगे।
पर कोबर्टिन क¨ लग रहा था कि यदि
ओलंपिक आंदोलन को फिर से जीवित करना है, तो उसके लिए ओलंपिया से बढ़िया जगह और क¨ई नहीं ह¨ सकती। पर समय क¢ थपेड़ों से अ¨लंपिया उजड़ चुका
था। तब उसने यूनान के ही एक नगर एथेंस क¨ इस खेल-क्रांति के लिए चुना।
आखिर कोबर्टिन का सपना पूरा हुआ। 6 अप्रैल
1896 को एक भव्य समारोह क¢ साथ एथेंस में ओलंपिक खेल फिर से शुरू हो गए। 9 दिनों तक
चले इस खेल उत्सव में तेरह देशों के 300 खिलाड़ियों ने भाग लिया।
सन 1937 में स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में उनकी मृत्यु हुई। पर तब तक ओलंपिक मशाल
को वह ऐसे प्रज्ज्वलित
कर चुक¢ थे कि ओलंपिक का कारवां आज भी शान से बढ़ता जा रहा है।
First olmeyic player in India
ReplyDeleteHe is best man.
ReplyDeleteThank you I'm Reshma will you marry me
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